Thursday, April 10, 2008

वो किसी का होगा...?


कौन कहता है कि वो मेरा होगा?

फिर उसकी आवारगी का क्या होगा?

साये को रिश्तों की आदत नहीं होती,

हर वक्त घुटने वाले का अंजाम क्या होगा?

परिंदों को परों का होगा बड़ा गुमान,

बेज़ा आंधियों में हौंसलों का क्या होगा?

मन की तपती रेत पर लहराती हों जब यादें,

पलभर ही सही, इस तपिश का क्या होगा?

घायल रूह पर रख जाते हैं जो मरहम,

तेरे नाम के कतरों के सिवा क्या होगा?

और कौन कहता है तरू, बेवफाई तोड़ती है,

लाख टुकड़ों में बंटे इस दिल का क्या होगा?

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