Monday, May 5, 2008

मेरा विश्वास


आस का बादल उड़ता उड़ता,
मुझ तक ही तो आएगा।


रात की पंछी धुंधला धुंधला,

होकर के खो जाएगा।

लम्बे डग हैं,छोटा मग है,

अभी पार हो जाएगा।

रहते रहते हवा का साया,

अपने पंख फैलाएगा....

कुहरा यूं छंट जाएगा,

रोशन एक ख्याल आएगा।

तभी आस का छूटा बादल,

उड़कर मेरे पास आ जाएगा।

1 comment:

Keerti Vaidya said...

First time apka blog dekha...bahut sunder hai aur kavita aur bhi laajwaab...