नए साल में नया क्या होगा...
वोही रात वोही दिन..
वही तुम और वही मैं।झुटपुटे से निकलता चांद,
साथ के छिट-पुट तारे,
पर कौन हमारे...छिटकी सी धूप,
अलसा के खोया रूप,
कैसा प्रतिरूप...रात की आसमानी आंच,
इर्द गिर्द लहराता सा बोझ,
किसकी सोच....दीमक सा दिखता घुन,
रोने लगी है धुन,
कहां रुनझुन....बरगद की बटेर,
कुहरे की देर,
कौन सवेर...तारीखों के ढेर,
दिनों के फेर...
कैलेंडरों की सेल...नए साल में कुछ भी ना होगा नया
सिवाय नए अंकों के...
और मशरूम के जालों के भीतर से,
बाहर आती एक दुर्गंध की तरह,
निकल आएंगी कुछ गंधियाती गालियां...
जो देनी होंगी हमें अपने आप को,
अपने तंत्र को,
सरकार को,
नेताओं को...
और भी ना जाने किसे किसे...
इसमें नया क्या होगा?
19 comments:
बहुत सुन्दर
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http://prajapativinay.blogspot.com/
bahot khub likha hai aapne bhi dhero badhai apako...
arsh
यह तो बड़ा जोरदार है. आभार.
अरे वाह! यह क्या बात हुई? कुछ तो नया होगा। कहीं तो नया होगा। कुछ नए लोग, कुछ नए विचार! कुछ नए चेहरे, और कुछ ऐसे अहसास जो जीवन को बदल कर रख दे। कही तो कोई दीपक होगा जो सूरज से भले न लड़े, निशा को हावी न होने देगा। मन के अहसासों का अच्छा चित्रण है। अच्छा लगा कुछ नया पढ़ कर।
शायद कुछ उम्मीदे फ़िर सर उठाये ओर सच हो कुछ सपने .इस साल.....शायद
ऐसा नहीं की नए साल में कुछ भी नया नही होगा. कुछ उम्मीदें होंगीं, कुछ नए चेहरे मिलेंगे, जिनमें कुछ नए दोस्त भी बनेंगे. और साथ में होंगी हमारी-आपकी कुछ नई पोस्ट्स भी. हाँ रुटीन लाइफ में शायद सब वैसा ही रहे-बोझिल. यहाँ सहमत हूँ आपसे.
बहुत सुंदर भाव
अद्भुत रचना...वाह ...वा... कमाल का लिखा है आपने...बधाई.
नीरज
बहुत खूब कहा आपने ...पर भी मुझे उम्मीद है ...कुछ तो ज़रूर नया होगा !!!! भावों की एक शानदार अभिव्यक्ति !!!!!!!!!!!
shaayad ,is baras kuch accha ho jaayen .. ummeed to hamen rakhni hi hongi...
aapne bahut accha likha hai , badhai .
vijay
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bahut sundar aur sahaj kavita
नव वर्ष मंगल मय हो
आपका सहित्य सृजन खूब पल्लिवित हो
प्रदीप मानोरिया
09425132060
बहुत ही सुंदर अभिवयक्ति!
आपको तथा आपके पूरे परिवार को आने वाले वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये !
वर्ष 2009 की हार्दिक शुभकामनाये !
achchhi rachna hai. par naye saal me aya or achchha karne ki koshish to ki hi ja sakti hai. apne star par chhota sa pryas kyoki aap v jaournalist hain
नये साल की मुबारकबाद कुबूल फरमाऍं।
एक उम्मीद पर दुनिया कायम है...नया जरूर कुछ होगा..
वैसे भी करोडों अरबों की भीड में सभी के लिये हर पल अच्छा ही हो ..कहा नहीं जा सकता और जो नया हो वो अच्छा भी हो सकता है बुरा भी... बदलाव की आशा रख सकते हैं हम और ईश्वर उस बदले परिवेश का सामना करने की शक्ति प्रदान करते रहें हमारी यही कामना है
नये साल की मुबारकबाद
आपको लोहडी और मकर संक्रान्ति की शुभकामनाएँ....
देर से आ पाया.
"छिटकी सी
अलसा के खोया रूप
कैसा प्रतिरूप"
अच्छी सोच और सुंदर रचना.
नव वर्ष आपकी लेखनी को नए आयाम दे इस आशा और विश्वास के साथ कि "सिबाय नए अंकों के ...... और भी न जाने किसे किसे." ऐसा न हो.
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